India International Trade Fair 2025: प्रगति मैदान में व्यापार मेले की धूम

 नई दिल्ली,  — राजधानी दिल्ली के प्रगति मैदान में चल रहा इंडिया इंटरनेशनल ट्रेड फेयर (IITF 2025) इस समय देशभर में चर्चा का केंद्र बना हुआ है। हर साल की तरह इस बार भी भारत के हर राज्य से कारीगर, उद्यमी और उद्योग जगत के प्रतिनिधि अपने-अपने उत्पाद, कला और तकनीक का प्रदर्शन करने पहुँचे हैं। इस साल की थीम — Vocal for Local


IITF 2025 की थीम ‘वोकल फॉर लोकल’ रखी गई है, जो घरेलू उत्पादों, भारतीय कारीगरों और छोटे उद्योगों को बढ़ावा देने पर जोर देती है। मेले में हस्तशिल्प, हैंडलूम, प्राकृतिक उत्पाद, स्थानीय खाद्य पदार्थ और पारंपरिक कलाकृतियों को विशेष महत्व दिया गया है।

(IITF 2025)

हर राज्य का अलग पवेलियन मेले में शामिल कुछ प्रमुख पवेलियनों में उत्तर प्रदेश: बनारसी साड़ी, लकड़ी की नक्काशी और पीतल कला राजस्थान: ब्लू पॉटरी, राजस्थानी ज्वेलरी और हैंडलूम गुजरात: कच्छ एम्ब्रॉइडरी, पटोला और बंधनी फैब्रिक उत्तराखंड 
और हिमाचल: जड़ी-बूटियाँ, हस्तनिर्मित ऊनी वस्त्र पूर्वोत्तर राज्यों: बांस उत्पाद, हस्तशिल्प और पारंपरिक आभूषण हर राज्य का स्टॉल अपने-अपने क्षेत्र की संस्कृति, कला और हुनर को दर्शाता है। खरीददारों की भारी भीड़
लोगों की सबसे अधिक रुचि इन चीजों में दिख रही है: हैंडलूम कपड़े गृह सज्जा की वस्तुएँ Eco-friendly प्रोडक्ट्स घरेलू स्टार्टअप्स के नए इनोवेशन MSME और स्टार्टअप्स की खास भागीदारी इस बार मेले में MSME सेक्टर, महिलाओं द्वारा संचालित कंपनियाँ और युवाओं के स्टार्टअप्स को विशेष स्थान दिया गया है। कई स्टार्टअप्स ने ऊर्जा-संचय उत्पाद, स्मार्ट होम गैजेट्स और सस्टेनेबल चीजों का प्रदर्शन किया है।
परिवारों और बच्चों के लिए विशेष आकर्षण मेले में फूड कोर्ट, सांस्कृतिक कार्यक्रम, बच्चों के लिए कार्यशालाएँ और पारंपरिक नृत्य प्रदर्शन भी आयोजित किए जा रहे हैं। शाम के समय मेले में अलग तरह की रोशनी और कला प्रदर्शन लोगों को खासा आकर्षित कर रहे हैं। प्रवेश और सुविधा ट्रेड फेयर तक पहुँचने के लिए मेट्रो, ई-रिक्शा और पब्लिक ट्रांसपोर्ट की अतिरिक्त सुविधा उपलब्ध कराई गई है। सुरक्षा व्यवस्था भी सख्त रखी गई है।

त्योहारी सीज़न के बाद भी ट्रेड फेयर में खरीददारों की लंबी कतारें देखने को मिल रही हैं।

प्रगति मैदान का इंडिया इंटरनेशनल ट्रेड फेयर 2025 न सिर्फ भारत की सांस्कृतिक विविधता को प्रदर्शित करता है, बल्कि  वोकल फॉर लोकल’ अभियान को एक नई ऊर्जा भी देता है। कारीगरों और छोटे उद्योगों को प्लेटफ़ॉर्म देने वाला यह मेला एक बार फिर साबित कर रहा है कि भारत का घरेलू बाजार और कला-उद्योग कितने मजबूत और आत्मनिर्भर हैं।

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