बुर्के वाली वोटर पर हंगामा: क्या मुसलमान वोट बैंक पक्का करने की कोशिश में हैं अखिलेश? CM योगी ने दिया पलटवार :


 

उत्तर प्रदेश और बिहार की सियासत में इन दिनों “बुर्के वाली वोटर” को लेकर नया विवाद खड़ा हो गया है। समाजवादी पार्टी (सपा) अध्यक्ष अखिलेश यादव के बयान के बाद जहां बीजेपी ने उन्हें घेर लिया है, वहीं सीएम योगी आदित्यनाथ ने इसे “वोट बैंक की राजनीति” बताते हुए करारा पलटवार किया है।

मामला क्या है?

दरअसल, एक चुनावी सभा में अखिलेश यादव ने कहा कि “हमारे बुर्के वाली बहनें भी अब वोट डालने के लिए घरों से निकल रही हैं।” इस बयान के वायरल होते ही बीजेपी ने इसे “धार्मिक ध्रुवीकरण” की कोशिश बताया।

बीजेपी प्रवक्ताओं का कहना है कि अखिलेश यादव केवल मुस्लिम मतदाताओं को लुभाने के लिए ऐसे बयान दे रहे हैं, जबकि समाजवादी पार्टी का कहना है कि अखिलेश का मकसद महिलाओं की राजनीतिक भागीदारी को बढ़ावा देना है, चाहे वो किसी भी धर्म की हों।

सीएम योगी का पलटवार

सीएम योगी आदित्यनाथ ने कहा कि “जो लोग केवल वोट बैंक की राजनीति करते हैं, वो समाज को बांटने की कोशिश करते हैं। उत्तर प्रदेश की जनता अब विकास पर वोट देती है, न कि धर्म और जाति पर।”
उन्होंने तंज कसते हुए कहा — “कुछ लोग अब बुर्के के पीछे वोट छिपाने की कोशिश कर रहे हैं, लेकिन जनता सब जानती है।”

अखिलेश यादव का जवाब

अखिलेश यादव ने पलटवार करते हुए कहा कि “बीजेपी को डर है कि अब महिलाएं, अल्पसंख्यक और नौजवान सपा के साथ हैं। बीजेपी हर बार हिंदू-मुस्लिम की राजनीति करती है, लेकिन जनता इस बार विकास और रोजगार पर वोट देगी।”

के लाइव शो में इस मुद्दे पर जबरदस्त बहस देखने को मिली।

बीजेपी प्रवक्ता ने कहा कि सपा के बयान से चुनाव आयोग को संज्ञान लेना चाहिए। वहीं सपा प्रवक्ता ने कहा कि बीजेपी हमेशा मुस्लिम महिलाओं के अधिकारों की बात करती है, लेकिन जब वे लोकतांत्रिक अधिकार का इस्तेमाल करती हैं, तो आपत्ति जताई जाती है।

राजनीतिक विश्लेषण क्या कहता है?

राजनीतिक जानकारों का मानना है कि “बुर्के वाली वोटर” पर उठा विवाद, यूपी और बिहार दोनों राज्यों में आगामी चुनाव के लिए मुस्लिम और महिला वोटरों की अहमियत को दिखाता है।
यूपी में लगभग 19% मुस्लिम वोटर हैं, जबकि बिहार में यह संख्या करीब 17% है। ऐसे में किसी भी दल के लिए यह वर्ग निर्णायक हो सकता है।

सपा की कोशिश है कि मुस्लिम वोट बैंक उसके साथ पूरी तरह एकजुट रहे, जबकि बीजेपी विकास और महिला सुरक्षा जैसे मुद्दों पर इस वर्ग में भी सेंध लगाने की रणनीति पर काम कर रही है।

Bihar Connection भी अहम

बिहार चुनाव 2025 में भी यह मुद्दा चर्चा में आ गया है। कांग्रेस और राजद नेताओं ने अखिलेश के बयान का बचाव किया है, जबकि बीजेपी के प्रदेश प्रवक्ता ने इसे “मुस्लिम तुष्टिकरण” बताया है।
CEC बैठक के बाद बिहार कांग्रेस अध्यक्ष राजेश राम ने भी कहा कि “महिलाओं का लोकतंत्र में बढ़ता कदम स्वागत योग्य है, उसे विवाद का रूप देना गलत है।”

जनता क्या कहती है?

सोशल मीडिया पर इस विवाद ने तगड़ी बहस छेड़ दी है।

  • कुछ यूजर्स ने अखिलेश यादव के बयान को “सकारात्मक” बताया।

  • वहीं कुछ ने कहा कि “धर्म के आधार पर वोट मांगना गलत है।”
    ट्विटर (X) पर #BurkhaVoter और #AkhileshYadav ट्रेंड कर रहे हैं।

निष्कर्ष:

चुनावी मौसम में हर बयान मायने रखता है। “बुर्के वाली वोटर” पर मचा यह हंगामा सिर्फ एक टिप्पणी नहीं, बल्कि आने वाले 2025 के यूपी और बिहार चुनावों की दिशा तय कर सकता है।
सवाल यही है — क्या यह मुद्दा वाकई महिलाओं की भागीदारी से जुड़ा है या फिर यह एक और वोट बैंक पॉलिटिक्स की नई चाल?

बुर्के वाली वोटर पर मचा सियासी बवाल! अखिलेश यादव और सीएम योगी आमने-सामने। क्या यूपी और बिहार चुनावों में मुस्लिम वोट बैंक को लेकर फिर गरमाई सियासत? जानिए पूरी रिपोर्ट।

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